ये क्या हुआ मुझे , उड़ने लगी मै तो आसमानों में
कल तक थी धीमी नदिया जैसी
आज हूं हवा से बातें करती हुई
कल तक थी सूखी मिट्टी की गुड़िया
आज हूं उपवन सी हरी भरी
किसने किया ये जादू, ये कमाल कर दिया
ज़मीं पर थे पांव , आसमां में बिठा दिया ।
कल तक थी धीमी नदिया जैसी
आज हूं हवा से बातें करती हुई
कल तक थी सूखी मिट्टी की गुड़िया
आज हूं उपवन सी हरी भरी
किसने किया ये जादू, ये कमाल कर दिया
ज़मीं पर थे पांव , आसमां में बिठा दिया ।
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