गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

ए मेरी कलम बन जा मेरी संगिनी और तोड़ दे सारी बंदिशें
तू लिख जो मेरा दिल कहता है
मन के अंदर की हलचल शब्दों के रूप में
कागज पर आने को मचल रही है
सही गलत और विचारों के अंतर्द्वंद को हटाकर उसे तू अपनी स्याही से जीवंत बना दे 
ए मेरी कलम बन जा मेरी संगिनी तोड़ दे सारी बंदिशें तू बस लिख जो मेरा दिल कहता है।
  ऐ कलम बन जा तू ऐसा हथियार जो मिटा डाले नामोनिशान   सामाजिक बुराइयों का
 
कवि की कलम से सिफारिश।
Suchitra




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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी