शनिवार, 22 दिसंबर 2018

कितने दिन हुए सुबह जल्दी उठें
कितने दिन हुए मा के हाथ का नाश्ता खाएं
वक़्त भी सरपट भाग गया
हमारा बचपन लेकर
कहा उससे लौटा दे हमे वो वक़्त
जिस वक़्त हम बस्ता लेकर स्कूल जाते थे ।

वक़्त बोला तुझे वापस ले जाऊं
ये संभव नहीं , मै तो एक नदी के धार हू जो हमेशा अग्रसर रहेगा ।

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी