गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

रेलगाड़ी के डिब्बे चलते हुए कहते है ,देखो हम लोहे के रास्ते पर चलते हुए भी एकसाथ चलते हैं
इंसान तू तो फूलों के सेज पर भी ,चार कदम अपनों के  साथ नहीं चल सकता 
   
       शुक्र है हम मशीन है इंसान नहीं ......

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी