सोमवार, 31 दिसंबर 2018
रविवार, 30 दिसंबर 2018
शनिवार, 29 दिसंबर 2018
शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018
गुरुवार, 27 दिसंबर 2018
ए मेरी कलम बन जा मेरी संगिनी और तोड़ दे सारी बंदिशें
तू लिख जो मेरा दिल कहता है
मन के अंदर की हलचल शब्दों के रूप में
कागज पर आने को मचल रही है
सही गलत और विचारों के अंतर्द्वंद को हटाकर उसे तू अपनी स्याही से जीवंत बना दे
ए मेरी कलम बन जा मेरी संगिनी तोड़ दे सारी बंदिशें तू बस लिख जो मेरा दिल कहता है।
ऐ कलम बन जा तू ऐसा हथियार जो मिटा डाले नामोनिशान सामाजिक बुराइयों का
कवि की कलम से सिफारिश।
Suchitra
तू लिख जो मेरा दिल कहता है
मन के अंदर की हलचल शब्दों के रूप में
कागज पर आने को मचल रही है
सही गलत और विचारों के अंतर्द्वंद को हटाकर उसे तू अपनी स्याही से जीवंत बना दे
ए मेरी कलम बन जा मेरी संगिनी तोड़ दे सारी बंदिशें तू बस लिख जो मेरा दिल कहता है।
ऐ कलम बन जा तू ऐसा हथियार जो मिटा डाले नामोनिशान सामाजिक बुराइयों का
कवि की कलम से सिफारिश।
Suchitra
देखो देखो नया वर्ष आया अपने साथ खुशियों की सौगात लाया
पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष को भी तुम व्यर्थ ना जाने देना
दृढ़ संकल्पों से अपनी किस्मत को चमका लेना
पिछले वर्ष की तरह हाथ आए मौके को ना गवा देना
कर देना त्याग उन सभी बुराइयों का जो फैल आती है समाज में बुराइयां
इन बुराइयों को अपने तन मन से निकाल बाहर कर देना
पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष को व्यर्थ ना गवा देना
बहते जाना नदी की तरह सर सर किसी किनारे पर थक कर बैठ ना जाना
पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष को भी व्यर्थ ना गवा देना
सुचित्रा
पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष को भी तुम व्यर्थ ना जाने देना
दृढ़ संकल्पों से अपनी किस्मत को चमका लेना
पिछले वर्ष की तरह हाथ आए मौके को ना गवा देना
कर देना त्याग उन सभी बुराइयों का जो फैल आती है समाज में बुराइयां
इन बुराइयों को अपने तन मन से निकाल बाहर कर देना
पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष को व्यर्थ ना गवा देना
बहते जाना नदी की तरह सर सर किसी किनारे पर थक कर बैठ ना जाना
पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष को भी व्यर्थ ना गवा देना
सुचित्रा
बुधवार, 26 दिसंबर 2018
मंगलवार, 25 दिसंबर 2018
ये क्या युग आ गया भगवान रक्षक बन गई भक्षक
अपने ही तन के टुकड़े को बहा दिया शौचालय में जैसे हो कोई मल मूत्र
हे नारी तुम कैसे कर सकती हो ये घिनौना कृत्य
तुम तो थी ममता की मूरत फिर कैसे हो गई करुणा त्यक्यत।
नन्हे से फूल को रोंदकर , खो दिया तुमने अपना नारीत्व
क्या युग आ गया रक्षक बन गई भक्षक
Write upon hawra Amritsar train incident , I strongly condemn it
अपने ही तन के टुकड़े को बहा दिया शौचालय में जैसे हो कोई मल मूत्र
हे नारी तुम कैसे कर सकती हो ये घिनौना कृत्य
तुम तो थी ममता की मूरत फिर कैसे हो गई करुणा त्यक्यत।
नन्हे से फूल को रोंदकर , खो दिया तुमने अपना नारीत्व
क्या युग आ गया रक्षक बन गई भक्षक
Write upon hawra Amritsar train incident , I strongly condemn it
जिंदगी बहुत छोटी है इसे मुस्कुरा कर जियो
क्या फर्क पड़ता है अगर थोड़े से गम है इसमें लेकिन खुशियां भी तो अपार इसी में है ना क्यों थक कर हार कर बैठते हो लेतुमसे ज्यादा विकट परिस्थितियों में लोग भी अभी रह रहे हैं और उसका सामना कर रहे हैं तुम्हारे कदम क्यों डगमगा रहे हैं तुम चलते चलो चलते चलो जरा भी मत डरो यह जिंदगी है एक रंगमंच है जिसमें तुम्हें अपने साहस का प्रदर्शन करना ही होगा
क्या फर्क पड़ता है अगर थोड़े से गम है इसमें लेकिन खुशियां भी तो अपार इसी में है ना क्यों थक कर हार कर बैठते हो लेतुमसे ज्यादा विकट परिस्थितियों में लोग भी अभी रह रहे हैं और उसका सामना कर रहे हैं तुम्हारे कदम क्यों डगमगा रहे हैं तुम चलते चलो चलते चलो जरा भी मत डरो यह जिंदगी है एक रंगमंच है जिसमें तुम्हें अपने साहस का प्रदर्शन करना ही होगा
रविवार, 23 दिसंबर 2018
शनिवार, 22 दिसंबर 2018
शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018
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क़ीमत
क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी
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shayari quotes and good thoughts: Sad shayari for lovers : Saza hume us baat ki mili jisme hamari khata na thi Dil toota hamara aur shika...
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Nadiyo ka sangam bhi to ase hota hai, koi idhar se to koi udhar se hota hai
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कांच का ग्लास थोड़े हूं साहब जो टूट जाऊंगी, मै तो हूं वो फौलादी चट्टान अगर हाथ भी लगाओगे तो मूरत बन जाऊंगी