सोमवार, 31 दिसंबर 2018

2018 हो गया  9 2 11

Lekar baho mein mujhko tujh mein kho Jane dena
Ruk jaye jo dhadkan meri to seene se Laga ke ise  phir se dhadka dena

Bhol jau gar
 saans Lena to to en saanso ko apni saanso
Se mehka dena

 ye natkhat nigahe kaha manti nahi
Tujh par chahti hai atakna mera kaha manti nahi  
Maine poocha asa kya khas hai es bande mein
To boli dosra koi khas hai hi nahi
इस कदर मोहब्बत हुई हमे उनसे की क्या कहे , बेवफाई मिलने पर भी बदुआओ  में भी दुआएं निकली।


रविवार, 30 दिसंबर 2018

यूं अधूरा लिख कर मत छोड़ मुझे , लेकर बाहों में पूरा कर  दे मुझे

 प्यार के अल्फ़ाज़ अधूरे हो या पूरे , यादों के निशान छोड़ ही जाते है।
कितना भी चाहे मिटा लो इनको ,नफरतों के असर को बेअसर कर ही जाते है।
चेहरे पर जो ये नूर है ये कोई लेप का कमाल नहीं, मेरे साजन के आने का पैगाम है ।


बांध लो चाहे जंजीरों से ये कदम अब नहीं रुकने वाले
देखते है कितना है दम इन लोहे के हथकड़ो में
 खून की गर्मी से हमारे जब  पिघल जाएंगे ये बंधन
देखना फिर शौर्य हमारा,  लेगा दुश्मन का दम




शनिवार, 29 दिसंबर 2018

ये क्या हुआ मुझे , उड़ने लगी मै तो आसमानों में

कल तक थी धीमी नदिया जैसी
आज हूं हवा से बातें करती हुई
कल तक थी सूखी मिट्टी की गुड़िया
आज हूं उपवन  सी हरी भरी
किसने किया ये जादू, ये कमाल कर दिया
ज़मीं पर थे  पांव , आसमां में बिठा दिया ।

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

The great poet is one who collects words (pearls) from ocean of thoughts ,
 And fix  them into wire (lines and meaningful touch )  finally gets beautiful pearl necklace (marvellous creation ) 
 




थोड़ी मुस्कान उधार दोगे मुझे मिलते ही  लौटा दूंगी
देखो जरा इन बारिश  बूंदों को क्या ये नहीं मिलती  उस मां कि आंखो के पानी से, जिनके पूत सरहदों पर खून की बूंदों की बारिश में नहाया करते है।
Definition of sasural for man and woman

For boys - 5 star hotel with all amenities .
 
For girl-  cookhouse with all responsibility.

But why ....

देखा है कभी प्रेम के अलग-अलग व्यंजनों को चखकर
रिश्तों की महक मे लिपटे हुए
मां बाप के प्रेम का स्वाद बेमिसाल लगा
पति पत्नि  के प्रेम का का स्वाद लाजवाब लगा
भाई बहिन का प्रेम कुछ खट्टा मीठा लगा
और दुश्मनी का स्वाद बेहद कड़वा लगा।


गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

मेरे  मन के अन्दर  झांककर देखो
गम के  आलावा कुछ मिल जाए तो बताना
ख्वाहिशें  दफन कर ली दिल कि गहराइयों में
इन गहराइयों को कभी नापकर देखना 
दर्द के सिवा कुछ मिल जाए तो बताना

अकसर सोचती हूं इन गमों को लेकर में कैसे जिऊ मै
मेरे गम के बोझ कि गठरी उठाकर तो देखो
उठा कर टूट ना जाओ तो बताना


ए मेरी कलम बन जा मेरी संगिनी और तोड़ दे सारी बंदिशें
तू लिख जो मेरा दिल कहता है
मन के अंदर की हलचल शब्दों के रूप में
कागज पर आने को मचल रही है
सही गलत और विचारों के अंतर्द्वंद को हटाकर उसे तू अपनी स्याही से जीवंत बना दे 
ए मेरी कलम बन जा मेरी संगिनी तोड़ दे सारी बंदिशें तू बस लिख जो मेरा दिल कहता है।
  ऐ कलम बन जा तू ऐसा हथियार जो मिटा डाले नामोनिशान   सामाजिक बुराइयों का
 
कवि की कलम से सिफारिश।
Suchitra




देखो देखो नया वर्ष आया अपने साथ खुशियों की सौगात लाया
पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष को भी तुम व्यर्थ ना जाने देना
दृढ़ संकल्पों से अपनी किस्मत को चमका लेना
पिछले वर्ष की तरह हाथ आए मौके को ना गवा देना
 कर देना त्याग उन सभी बुराइयों का जो फैल आती है समाज में बुराइयां
इन बुराइयों को अपने तन मन से निकाल बाहर कर देना
पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष को व्यर्थ ना गवा देना
 बहते जाना नदी की तरह सर सर किसी किनारे पर थक कर बैठ ना जाना
पिछले वर्ष की तरह   इस वर्ष को भी व्यर्थ ना गवा देना
 

       सुचित्रा
रेलगाड़ी के डिब्बे चलते हुए कहते है ,देखो हम लोहे के रास्ते पर चलते हुए भी एकसाथ चलते हैं
इंसान तू तो फूलों के सेज पर भी ,चार कदम अपनों के  साथ नहीं चल सकता 
   
       शुक्र है हम मशीन है इंसान नहीं ......
बेवफ़ाई के बाज़ार में इन आसुओं की कोई कीमत नहीं यकीन नहीं तो बेचकर देख लो तन्हाई के आलावा कुछ नहीं मिलेगा।
नहीं है कोई तेरे आसुओं की कीमत अदा करने वाला
तो समेट ले इन बिखरे हुए अश्रुमोतियो को , कि तुझे ही अब इन्हें संजोना होगा ।

बेवफ़ाई के बाज़ार में इन आसुओं की कोई कीमत नहीं यकीन नहीं तो बेचकर देख लो तन्हाई के आलावा कुछ नहीं मिलेगा।

बुधवार, 26 दिसंबर 2018

नज़रे  मिलते ही कमाल  हो गया वो मेरी मै उसका हो गया
हुई दिलो के साथ एहसासों को अदला बदली
खो गया जब उसकी आंखो में उसका
 दुःख मेरा हो गया
    नज़रे मिलते ही कमाल हो गया मेरा दिल उसका ,उसका दिल मेरा हो गया।

मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

ये क्या युग आ गया भगवान  रक्षक बन गई भक्षक
अपने ही तन के टुकड़े  को बहा दिया शौचालय में जैसे हो कोई  मल मूत्र
हे नारी तुम कैसे कर सकती हो ये घिनौना कृत्य
तुम तो थी ममता की मूरत फिर कैसे हो गई करुणा त्यक्यत।
नन्हे से फूल को रोंदकर , खो दिया तुमने अपना नारीत्व
क्या युग आ गया रक्षक बन गई भक्षक
 
Write upon hawra Amritsar train incident , I strongly condemn it






वक़्त ज़रा रुक जा ना तुझे इतनी भी क्या जल्दी है
थोड़ी थोड़ी बचपन कि यादें समेट लेने दे
वो आंगन में घर घर खेलना लुका छिपी का खेल में खो  जाने दे
मा के हाथ के बने खाने का  स्वाद फिर से चख लेने दे
पापा की गाड़ी के पीछे बैठकर घूम लेने दे
वक़्त ज़रा रुक जा ना तुझे इतनी भी क्या जल्दी है


चुनौतियों की बारिश में नहीं डरते हम हमें तो सफलता की समुंदर में डुबकी लगाना है।
जिंदगी बहुत छोटी है इसे मुस्कुरा कर जियो
क्या फर्क पड़ता है अगर थोड़े से गम है इसमें लेकिन खुशियां भी तो अपार इसी में है ना क्यों थक कर हार कर बैठते हो लेतुमसे ज्यादा विकट परिस्थितियों में लोग भी अभी रह रहे हैं और उसका सामना कर रहे हैं तुम्हारे कदम क्यों डगमगा रहे हैं तुम चलते चलो चलते चलो जरा भी मत डरो यह जिंदगी है एक रंगमंच है जिसमें तुम्हें अपने साहस का प्रदर्शन करना ही होगा
नफरतों की इस दुनिया में मोहब्बत मिलना है कितना मुश्किल गर मोहब्बत मिल भी जाए तो उस मोहब्बत को इस नफरतों से महफूज रखना भी है कितना मुश्किल

रविवार, 23 दिसंबर 2018

किस्मत फूटी हो तो उसे fevical से जोड़ने का प्रयत्न ना करे  ,
मेहनत रूपी feviquick से जोड़े ,जोड़ मजबूत होगा और ज़िन्दगी  भी संवर जाएगी😋😊

      Feeling crazy 

शनिवार, 22 दिसंबर 2018

कितने दिन हुए सुबह जल्दी उठें
कितने दिन हुए मा के हाथ का नाश्ता खाएं
वक़्त भी सरपट भाग गया
हमारा बचपन लेकर
कहा उससे लौटा दे हमे वो वक़्त
जिस वक़्त हम बस्ता लेकर स्कूल जाते थे ।

वक़्त बोला तुझे वापस ले जाऊं
ये संभव नहीं , मै तो एक नदी के धार हू जो हमेशा अग्रसर रहेगा ।

शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

ये सर्द रातें ,और ये तुम्हारा दहकता बदन कर देता है हमें मदहोश


  क्या ज़रूरत है हमें अंगरो की तेरी बदन की सुलगती आग ही काफी है हमें गर्म करने के लिए

बुधवार, 19 दिसंबर 2018

नन्हे क़दमों की आहट ,अब तो देने लगी सुनाई
नन्हा मेहमान है अब तो आने  वाला मीठी किलकारी संग

करुनप्रिय वाणी से तो झूम उठेगा मेरा घर आंगन
घर आंगन ही क्या कहकर पुकरेगा जब वो मां
हृदय में भरेगा वत्सल रस ।





क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी