Kavita
हमसे बेहतर तुम्हें कोन जानता है
ज़ो भी जानता है ग़लत जानता है
चुपके से चुरा लेते हो दिल का चैन ओ सुकून
फिर कहते हो ,हमें कहाँ कुछ आता है
क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी
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