Kavita
देख़ा तूने हमें इस क़दर ऐ मेरे सनम
शरमा गये हम ऐसे
आँखो से पलकों
का वज़न भी ना उठाया गया
क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी
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