शनिवार, 23 जुलाई 2022

जूता चप्पल झाड़ु

 जुता चप्पल  झाड़ु एक समान 

पड़ता जब माँ के हाथ 

कोई ना बच पाए निशाने से इसके यार 👹


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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी