सोमवार, 14 दिसंबर 2020

Meri dadi ki kahani


दादी है बहुत याद आती 
कभी हसती थी कभी रुलाती थी
बात ना मानने पर गुस्सा हो जाया करती थी 
कभी बिन बात मम्मी से लड़ जाया करती थी ,
कुछ खट्टी थी कुछ मीठी थी
मेढक  मेढकी की कहानी सुनाया करती थी 
मम्मी वक्त पर खाना ना बना पाए तो 
स्कूल में टिफिन देने आया करती थी 
दिन पसंद नहीं था उनको शायद
इसीलिए
 गाव से हमेशा रात में आया करती थी 


एक अरसा बीत गया उनको गए 
 लेकिन याद कभी कभी आ जाया करती है ।

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी