अक्सर हम दूसरों में परफेक्शन चाहते हैं हम चाहते हैं कि दूसरा हमारी सोच के मुताबिक चले पूरी तरह से जैसा हम चाहते हैं वैसा ही हमारे साथ व्यवहार करें पर ऐसा क्या संभव है बिल्कुल नहीं वह अपने आचरण के मुताबिक ही व्यवहार करता है मैं अपने पुराने संस्कार से ही आचरण करता है जो उसने अपनी past लाइफ में सीखा होता है वही वह अपने वर्तमान में दोहराता है जब आप खुद दूसरों के अनुसार नहीं चल सकते तो दूसरों से क्यों उमीद लगाते हो कैसे उम्मीद लगा सकते कि वह तुम्हारे हिसाब से चलेगा
सबके अपने खुद के विचार होते हैं लो लोग दूसरों को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं वह चाहते हैं जैसे चाबी हम भरे वैसे ही चले मेरे हिसाब से चले ऐसा नहीं होता हम इंसान हैं कोई खिलौना नहीं सबको स्वतंत्रता चाहिए
एक टीचर अपने स्टूडेंट से क्या चाहता है कि वह उसके उम्मीदों पर खरा उतरे और अच्छे मार्क्स लाइक वह जो कहे उसे करें पर क्या वह पूरी तरह से करता है हंड्रेड परसेंट कोई भी किसी के हिसाब से नहीं चलता सबका अपना अलग-अलग हिसाब है इसलिए हमें किसी की जिंदगी में बेवजह दखल नहीं देना चाहते रिश्ते खराब तो होते ही हैं बल्कि हमारे दिल का सुकून भी चला जाता है इसलिए दूसरों को स्वतंत्रता दे ।
कंट्रोल करने की भावना से तनाव में आ जाता है मन की शांति चली जाती है जितना आप कंट्रोल करने की जा रखोगे उतने ही तनाव में जाते जाओगे ।
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