मंगलवार, 8 जनवरी 2019

क्या करे उस बेवफा से शिकवा जो ना समझ सके जज्बात हमारे अब तो अल्फ़ाज़ भी रोने लगे सुनकर फसाने हमारे

क्या करे उस बेवफा से शिकवा जो ना समझ सके जज्बात हमारे
अब तो अल्फ़ाज़ भी रोने लगे सुनकर फसाने हमारे 

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी