एक पेड़ के नीचे एक भिकारी रहता था सामने ही एक घर था बड़ा सा घर उसमें एक छोटी सी लड़की अपने माता-पिता के साथ रहती थी विकारी रोज भी भीख मांग कर अपना गुजारा करता था उस पेड़ के नीचे रहता एक दिन उसे भीख नहीं मिली वह भूखा ही रह गया लड़की ने देखा कि भिकारी को तो कुछ आज मिला ही नहीं लड़की का आज जन्मदिन था तो उसके घर स्वादिष्ट भोजन बना हुआ था तरह तरह के पकवान केक चॉकलेट इत्यादि भिकारी मेहमानों को अंदर जाते हुए देख रहा था और सोचता कि काश मैं भी इतना अच्छा भोजन कर पाता लड़की के पिताजी बहुत ही सख्त थे वह गरीबों को पसंद नहीं करते थे लेकिन उस छोटी-सी मासूम बच्ची को उस बुरे गरीब से हमदर्दी थी उसने सोचा मैं क्या करूं इस भिकारी के लिए ताकि उसका पेट भर जाए और पिताजी को पता भी ना चले उसे विचार आया उसने अपने अंकल से बात की जो कि बहुत ही दयालु थे उसने कहा कल क्या आप अपने कपड़े एक भिकारी को दे सकते हैं जिससे इनको पहनकर यह आज की पार्टी में आ सकता है और पिताजी को पता नहीं चलेगा अंकल राजी हो गए उन्होंने अपने कपड़े भिखारी को पहना दिए भिकारी पार्टी मैं गया और उसने अच्छा अच्छा भोजन किया फिर उसने उस लड़की का और अंकल का शुक्रिया अदा किया उसने कहा धन्यवाद जो आप इस गरीब को इतना स्वादिष्ट भोजन करवाएं अंकल बोले अब तुम्हें कभी भूखा नहीं रहना पड़ेगा मेरे फैक्ट्री में मैं तुम्हें काम देता हूं गरीब खुश हो गया और वह अपनी मेहनत से रोज कमाता और अच्छे से जीवन यापन करता।
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