सोमवार, 11 मई 2020

maa shayari

बहुत कुछ लिखा था मा के लिए अपनी कविता में
क्या करू काग़ज़ गीला हो गया लिखते लिखते
माफ़ करना दोस्तो

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी