मंगलवार, 12 मई 2020

गरीबी एक अभिशाप

गरीबी सबसे बड़ा दुख है दुख में कोई भी नहीं रहना चाहता सबके हिस्से में खुशियां आएं यह सभी चाहते हैं लेकिन इंसान भी क्या करें वह भी किस्मत के आगे मजबूर ही है चप्पल घिस जाती है और जीने का हौसला नहीं दिल में जीने की आशा हर पल रहती हैं गरीबी में जीना जंगल के संघर्ष की तरह जीना हैजिस प्रकार जंगल के सभी जानवरों को जिंदा रहने के लिए प्रकृति के साथ संघर्ष करना होता है ठीक उसी प्रकार इंसान को भी अपने सर्वाइवल के लिए लड़ना पड़ता है इस संसार में हर जगह रजिस्टेंस है यानी प्रतिरोध अमीर को और अमीर बनने के लिए और अधिक श्रम समय और अधिक ताकत की जरूरत होती है वैसे ही करीब को पेट पालने या जीवन जीने के लिए कुछ ना कुछ करना पड़ता है
हम इस दुनिया में रजिस्टेंस का सामना करते हुए ही आए हैं शुरुआत से जैसे कि पिता के स्पर्म से माता के अंडाणु तक पहुंचने में भी हमें कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और प्रतिरोध का सामना करने के बाद ही हम अस्तित्व में आए सरल शब्दों में कहा जाए तो जीवन एक संघर्ष ही है जो लड़ेगा वह आगे बढ़ेगा

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी