सोमवार, 25 मई 2020

नशीली आंखें

आंखे इतनी नशीली है कि
मदहोशी छा जाए 
कैसे बचाए इस दिल को कोई
जब तीखे नयनों से कोई बाण चलाए

शनिवार, 23 मई 2020

सफलता की कुंजी मेहनत

मेहनत है वह हथियार पाओगे जिससे तुम सफलता अपार
मेहनत किस्मत खोलने की वो चाबी है जिसका हर कोई ना आदी है
तुम कोशिश करके तो देखो, मुट्ठी में होगा सारा आसमान
मेहनत करके ही तो रस्सी ने पत्थर पर निशान बनाया
हजार बार असफल होकर ही एडिसन ने बल्ब बनाया
समय नष्ट ना करो बार बार  कोशिश करके देखो तो एक बार 
सफलता मिलेगी ही मिलेगी तुम्हे हर बार

गुरुवार, 21 मई 2020

चालाकी और भोलापन कब और कहां उपयोग करें इसका हमेशा ध्यान रखें

बचपन में घर घर खेलते खेलते पता ही नहीं चला मैं कब  मैं बड़ी हो गई और यह साथ में खिलौने वाले बर्तन भी बड़े हो गए हैं जिम्मेदारी में भी बड़ी हो गई है पहले हम छोटे थे खेल खिलौने छोटे थे आकांक्षाएं छोटी थी पैसों की चाहत छोटी थी सब कुछ बढ़ गया है जरूरतें बढ़ गई हैं और शान बढ़ गई हैं अहंकार बढ़ गया है शरीर बढ़ गया है बुद्धि बढ़ गई है बस एक ही चीज घट गई है मासूमियत
मासूमियत ने  तजुर्बा तो दे दिया लेकिन   मासूमियत छीन ली
लेकिन शायद यह वक्त की जरूरत भी है जैसे कि मासूमियत बचपन में ही सही है आज के समय में जो मासूम है बोला है उसकी कोई इज्जत नहीं है उसे कोई भी बेवकूफ बना सकता है जीवन में अगर जीना है तो चाणक बनकर ही जीना पड़ता है बच्चा जब धीरे-धीरे बड़ा होता है तब उसने चालाकियां आने लगते हैं और मासूमियत खोने लगती है जिंदगी को जैसे जरूरत होती है वह अपने हिसाब से चलती है जो कुछ भी होता है सब अच्छा ही होता है इसलिए just go with the flow of life 

इसका यह कतई मतलब नहीं है कि आप फ्लो ऑफ लाइफ में कुछ ऐसा कर जाओ जो कि अनैतिक हो नहीं ऐसा नहीं आप अपने जज बनो चीजों को देखो क्या सही है और क्या गलत कहां मासूमियत ठीक रहेगी कहां चालाकी से काम चलेगा
अपने घर परिवार में मासूम बन कर रहो क्योंकि सबके दिल आपके पति अच्छे ही होंगे लेकिन बाहर निकल के उस मासूम दिल को एक कोने में रख कर बाहर निकलो।
नहीं तो दुनिया वह चांटा मारेगी जिससे लालपन वर्षों तक कायम रहेगा इसलिए मासूमियत और चालाकी दोनों ही जरूरी है इन दोनों का उचित मात्रा में अनुपात अपने हृदय में रखो और सही समय आने पर इनका उपयोग करो।
अगर आप घर परिवार में चालाकी यानी दिमाग से काम लेंगे दिल से नहीं तो परिवार बिखर जाएगा क्योंकि वहां चालाकी की जरूरत है ही नहीं और बाहर वालों हो मासूमी दिखाओगे तो वह तुम्हें लूट कर रख लेंगे।

गुरुवार, 14 मई 2020

गरीबी कि परिभाषा

गरीबी क्या होती है ये उस मजदूर से पूछो जिसे दो वक़्त की रोटी के लिए दो हजार कदम चलना पड़ता है।

बुधवार, 13 मई 2020

गलती की सजा है

माना हर गलती की एक सजा है लेकिन  एक मौका देने से भी तो इंसान सुधरा है
क्या करे इंसान भी मिट्टी का पुतला है, नाकी खुदा  है 
गलती को माफ़ कर आगे  बढ़ो इसी में तुम्हारे तन और मन का भला है

नहीं तो ऊपर वाला भी तुम्हारा कचा चिठ्ठा लेकर खडा है।


नवरंग: Ma baap shayari

नवरंग: Ma baap shayari: आंखो में ख्वाब चाहे जितने बड़े हो पैर जमीन पर ही रखना चाहे  जितने ऊपर तुम उठ जाओ मा बाप को दिल में ही रखना बड़े लाड प्यार से पाला है तु...

Ma baap shayari

आंखो में ख्वाब चाहे जितने बड़े हो पैर जमीन पर ही रखना
चाहे  जितने ऊपर तुम उठ जाओ मा बाप को दिल में ही रखना
बड़े लाड प्यार से पाला है तुमको क्या पता
इस बात से तुमको क्या फर्क पड़ता
भूल गए हो ज़िन्दगी कि दौड़ में उनको तुम
बेसहारा उनको मत करना
मेरी एक बात याद रखना ,ख्वाब चाहे जितने बड़े हो पैर ज़मीन पर ही रखना 

मंगलवार, 12 मई 2020

गरीबी एक अभिशाप

गरीबी सबसे बड़ा दुख है दुख में कोई भी नहीं रहना चाहता सबके हिस्से में खुशियां आएं यह सभी चाहते हैं लेकिन इंसान भी क्या करें वह भी किस्मत के आगे मजबूर ही है चप्पल घिस जाती है और जीने का हौसला नहीं दिल में जीने की आशा हर पल रहती हैं गरीबी में जीना जंगल के संघर्ष की तरह जीना हैजिस प्रकार जंगल के सभी जानवरों को जिंदा रहने के लिए प्रकृति के साथ संघर्ष करना होता है ठीक उसी प्रकार इंसान को भी अपने सर्वाइवल के लिए लड़ना पड़ता है इस संसार में हर जगह रजिस्टेंस है यानी प्रतिरोध अमीर को और अमीर बनने के लिए और अधिक श्रम समय और अधिक ताकत की जरूरत होती है वैसे ही करीब को पेट पालने या जीवन जीने के लिए कुछ ना कुछ करना पड़ता है
हम इस दुनिया में रजिस्टेंस का सामना करते हुए ही आए हैं शुरुआत से जैसे कि पिता के स्पर्म से माता के अंडाणु तक पहुंचने में भी हमें कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और प्रतिरोध का सामना करने के बाद ही हम अस्तित्व में आए सरल शब्दों में कहा जाए तो जीवन एक संघर्ष ही है जो लड़ेगा वह आगे बढ़ेगा

Periods ka khoon

तुम आज किचन में नहीं जाओगे और किसी को हाथ नहीं लगाओगे मंदिर नहीं जाओगी यह कुछ ऐसी बातें हैं जिओ महिलाओं से उनके माहवारी के समय कहीं जाति हैं क्यों आखिर क्यों माहवारी में औरत अपवित्र हो जाती है बाकी के दिनों में वह शुद्ध होती है जिस खून के द्वारा तुम खुद बनते हो उसी खून से घृणा क्यों
सच है आदमी इस पीड़ा को समझ ही नहीं सकता गर्भावस्था के दौरान पीला तो उसे सहन करनी होती है साथ ही साथ उससे कई समय पहले फर्टाइल होने के लिए पीरियड्स को भी सहना होता है मतलब औरत की पूरी जिंदगी सहन करने में ही चली जाती है सहनशक्ति की मिसाल है
 औरत और कुछ मूर्ख कहते हैं औरत कुछ काम की नहीं
औरत जननी है उसी से जीवन की उत्पत्ति होती है जीवन उसमें पलता है इसलिए उसकी इज्जत करो।

अंखियों में निंदिया कैसे आए

अंखियों में निंदिया कैसे आए 
बंद करते ही एक  अधूरा सपना छा जाए
पूरा करने को जी ललचाए 
मेहनत करने से ना घबराए
फिर एक दिन सफलता मिल ही जाए


सोमवार, 11 मई 2020

अफसाना बन गया

होना था जो हो गया हमें प्यार हो गया
अफसाना बन गया तू मेरा दिलदार बन गया

बहुत था रोका इस दिल को लेकिन ये तो तेरी बाहों में सो गया
होना था जो वो हो गया कि हमें प्यार हो गया

सांसों को कहा ना जा छोड़कर मुझे यूं , 
O रब्बा मेरा क्या ये हाल हो गया 
अफसाना बन गया वो मेरा दिलदार बन गया


maa shayari

बहुत कुछ लिखा था मा के लिए अपनी कविता में
क्या करू काग़ज़ गीला हो गया लिखते लिखते
माफ़ करना दोस्तो

ज़िन्दगी के रंग

ज़िन्दगी के नवरंगो से रंग लो अपना जीवन
हर रंग का अलग रंग है
रंग में उमंग है
उमंग में खुशी है और खुशी में ज़िन्दगी है।

Na Jane kis mod par aa gyi zindagi

Na jane kis mod par aa gye hai na koi kashti dikhti na ,na koi kinara
Na rasta dikhta hai na koi manzil 
Bas ek choti si asaha dil ke kisi kone mein bol rahi hai .....
Uth kuch kar bhid ja samandar ke en toofano se 
Ladkar hi tujhko milegi manzil
Yun thak harkar kisi ki vijay nhi hui
Jo ladega wo jeetega 

शनिवार, 9 मई 2020

मन कितना चंचल है इंसान चंचल हो ना हो लेकिन मन चंचल जरूर होता है मन की प्रकृति ही है इसका चंचल स्वभाव आदमी चाहे कितना भी साधारण सीधा सरल क्यों ना हो लेकिन उसका मन चंचल ही होता है इधर-उधर भागना उसकी प्रवृत्ति होती है और जो लोग अपने मन को एक जगह पर टिका कर रखते हैं वही लोग शांत होते हैं
अगर मन को अपने बस में करना चाहते हो तो मन के विचारों से लड़ो मत लड़ाई करोगे उलझ जाओगे मन में चलने वाले विचार को एक मूकदर्शक की भांति देखो ना उनम अच्छा बोलो ना खराब बोलो बस चुपचाप देखते रहो वह आएंगे और चले जाएंगे thoughts are like passing clouds

शनिवार, 2 मई 2020

कदर करना है तो अभी करो मुर्दों से क्या बात करते हो सहानुभूति की

जीते जी इंसान कदर क्यों नहीं करता पता नहीं इंसान की यह कैसी प्रवृति है जब कोई मर जाता है तभी उसे उस पर बहुत प्यार आता है और जब जिंदा होता है तो उसे किसी कचरे के डिब्बे की तरह ट्रीट किया जाता है क्यों आखिर ऐसा क्यों है क्योंकि इंसान दो चेहरे रखता है एक चेहरा असलियत का और दूसरा चेहरा दिखाने का जब इंसान जिंदा रहता है तो उसे इंसान की कदर नहीं रहती वह अपनी असलियत में रहता है जैसे ही वह इंसान मर जाता है तो दूसरों को यह दिखाने के लिए कि मैं कितना दुखी हूं उस इंसान के चले जाने से वह रोता है
दिखावे के साथ लोग कैसे जी लेते हैं यह तो मुझे अभी भी समझ में नहीं आता दिखावे से जीना यह काम बस दुष्ट प्रवृत्ति के लोग ही कर सकते हैं जो इंसान सरल है सच्चा है उससे दिखावे का काम नहीं होता हो ही नहीं सकता उससे
अगर कोई इंसान बहुत दिखावा करता है अच्छे होने का तो समझ जाइए वह इंसान अंदर से कपटी और छलिया है वह अच्छे होने का सिर्फ मुखौटा पहने हुए हैं दिल से अच्छा होना बेहद कठिन है ये हर किसी के बस की बात नहीं इसके लिए निश्चल वह निष्कपट होना जरूरी है।
आप अपने आसपास देखिए जब कभी कोई बात आपको असहज महसूस कराएं या आपको खुद ऐसा महसूस हो कि यह इंसान इतना अच्छा कैसे हो सकता है उसके कारण पर जाइए जड़ तक जाइए।

शुक्रवार, 1 मई 2020

Chale gye wo na jane kis sansaar mein
Ayenge na ab hazar minnate kar lo
Jab zinda the to kadra na ki
Ab jab nahi rahe to unka gungan kar rahe ho
Ajeeb hai insan bhi
Admi ki keemat uske marne ke baad hi kyn hoti hai

क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी