बदला रिवेंज कहां तक सही है जहां तक सही है इस बात पर डिपेंड करता है कंडीशन क्या है इस बात को समझने के लिए हमें इसकी गहराई तक जाना होगा कहा जाता है ना किसी को किया गए कर्मों का फल कभी ना कभी उसे भगवान जरूर देता है लेकिन हम कैसी बात को माने इंसान इसीलिए बदले की भावना को इसलिए गलत नहीं मानता क्योंकि उसे न्याय व्यवस्था पर भरोसा नहीं है मतलब इंसान की बनाई हुई न्याय व्यवस्था जोकि सच में exist करती है । फिलहाल तो ईश्वर का अस्तित्व भी संदेहस्पद है तोभला इंसान कैसे भरोसा करेगा जो चीज वास्तविकता में है ही नहीं। बदला लेने वाला इंसान नास्तिक होता है उसे ईश्वर के न्याय पर जरा भी भरोसा नहीं होता isliye वह सजा देने के लिए अपना रास्ता अपनाता है। जिसने सब इतना अत्याचार किया है उसकी सजा भगवान देगा इसलिए वह ना तो इंसानों द्वारा बनाई गई है व्यवस्था पर और ना ही ईश्वर द्वारा बनाई न्याय व्यवस्था पर भरोसा करता है अब उसे खुद पर ही भरोसा करना होता है की हां मैं ही हूं जो किए की सजा दिला सकता हूं और उस कृत्य को करने में जरा भी नहीं संकोच नहीं करता फिर चाहे उसे किसी का खून भी क्यों ना करना पड़े
गुरुवार, 18 जुलाई 2019
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