शुक्रवार, 12 जुलाई 2019

बचपन की यादें मीठी मीठी प्यारी प्यारी miss my childhood poem

जिंदगी की इतनी तेज रफ्तार थी कि खुद को संभाल न सके हम
कभी वक्त हमारे साथ था कभी हम वक्त के साथ थे
बेचैन मन चाहे की चाहत वक्त वापस लौट आए हमसे मिलने दोबारा ले जाए हमें उस वक्त में जहां दुख कम थे और थी खुशियां हजार
₹5 की मैगी में भी खुश हो जाते थे अब तो 1000 का पिज़्ज़ा भी खाकर पेट तो भर जाता है पर मन नहीं।

घूमते थे जहां आजाद परिंदों की तरह जहां अब तो अब तो जिंदगी की उलझन मैं ही कैद हो गए

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी