बुधवार, 12 जून 2019

चार दिन की ज़िन्दगी

चार दिन की ज़िन्दगी में हजार ख्वाहिशें निकली
कुछ ज्यादा तो कुछ कम निकली
हो गई कुछ 600 इच्छाएं पूरी
400 की उधारी कली
देखा कुछ समय बाद तो खुशियां व्याज के साथ निकली

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी