कितनी भोली हो तुम तुम्हें झूठ बोलना तक नहीं आता
कहती हो प्यार नहीं है हमसे, और छुप-छुपकर हमें देखती हो तुम्हें तो छुपाना भी नहीं आता
हो जाऊं घायल कहीं तो होता है तुमको दर्द मुझसे कहीं हीं ज्यादा, घाव पर मरहम लगाने चली आती हो तुम्हें तो बेरुखी दिखाना भी नहीं आता
ख्याल रखती हो मेरा इतना कि खुद को भूल जाती हो फिर भी बेपरवाह होना नहीं आता
कहती हो प्यार नहीं है हमसे, और छुप-छुपकर हमें देखती हो तुम्हें तो छुपाना भी नहीं आता
हो जाऊं घायल कहीं तो होता है तुमको दर्द मुझसे कहीं हीं ज्यादा, घाव पर मरहम लगाने चली आती हो तुम्हें तो बेरुखी दिखाना भी नहीं आता
ख्याल रखती हो मेरा इतना कि खुद को भूल जाती हो फिर भी बेपरवाह होना नहीं आता
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