कभी खुद को देखा है नहीं मैं नहीं मैंने तो नहीं देखा क्यों देखा होगा भाई फुर्सत ही नहीं मिलती इस भागम भरी जिंदगी में हम तो कहीं खोते जा रहे हैं खुद से मुलाकात करने का फुर्सत ही नहीं है खुद से मुलाकात करने की कला बहुत कम लोगों में पाई जाती है एक रिया एकांत में करना ही संभव है और उसके लिए जरूरी है अंतर्मुखी स्वभाव ।
मनुष्य में दो का प्रकार का स्वभाव होता है अंतर्मुखी और बहिर्मुखी बहिर्मुखी व्यक्ति स्वभाव से चंचल होती है और मिलनसार होते हैं किसी से घुलने मिलने में उन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगता लेकिन बहिर्मुखी स्वभाव वाले व्यक्ति कभी अपने अंदर के इंसान से नहीं मिल पाते जिंदगी भर दूसरों को तो देखते हैं उनको उनको जज करते हैं खुद से अधूरे रह जाते हैं खुद को टटोल ही नहीं। पाते क्या आपको नहीं लगता कभी हम खुद से भी मिले मौत आने से पहले एक बार खुद को जान लो कुत्ता मूल्यांकन करो तुम कहां हो जीवन में तुमने क्या किया क्या सीखा क्या खोया क्या पाया क्या कुछ सीखना बाकी है यह सब सवाल अपने से करो अभी तुम जो हो बस इसीलिए तुम धरती पर आई थी तुम्हारा जन्म लेने का उद्देश्य क्या पूरा हो चुका है यदि हां तो कैसे यदि नहीं पूरा करने में अपनी जान लगा दो
क्या आप जानते हैं अंतर्मुखी होने का एक बड़ा फायदा यह है कि खुद को पहचानने में देर नहीं लगती कि खुद के अंदर की कला को पहचानने में भी हमें देर नहीं लगती व्यक्ति जीवन भर अपने अंदर की कला को पहचानने में जुटा रहता है लेकिन उसे अपना हुनर मालूम नहीं हो पाता अंतर्मुखी खुद को समय देता है और बहिर्मुखी व्यक्ति बाहर क्यों दोनों में लिप्त रहता है अगर आपका स्वभाव बहिर्मुखी है अपने अंदर की हुनर को पहचानने के लिए आपको थोड़ा अंतर्मुखी होना होगा इसके लिए आपको खुद के लिए वक्त निकालना होगा और शांतिपूर्ण तरीके से विचार करना होगा की मैं क्या कर सकती हूं या सकता हूं।
यकीन मानिए कुछ समय पश्चात आपको जवाब मिल जाएगा
मनुष्य में दो का प्रकार का स्वभाव होता है अंतर्मुखी और बहिर्मुखी बहिर्मुखी व्यक्ति स्वभाव से चंचल होती है और मिलनसार होते हैं किसी से घुलने मिलने में उन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगता लेकिन बहिर्मुखी स्वभाव वाले व्यक्ति कभी अपने अंदर के इंसान से नहीं मिल पाते जिंदगी भर दूसरों को तो देखते हैं उनको उनको जज करते हैं खुद से अधूरे रह जाते हैं खुद को टटोल ही नहीं। पाते क्या आपको नहीं लगता कभी हम खुद से भी मिले मौत आने से पहले एक बार खुद को जान लो कुत्ता मूल्यांकन करो तुम कहां हो जीवन में तुमने क्या किया क्या सीखा क्या खोया क्या पाया क्या कुछ सीखना बाकी है यह सब सवाल अपने से करो अभी तुम जो हो बस इसीलिए तुम धरती पर आई थी तुम्हारा जन्म लेने का उद्देश्य क्या पूरा हो चुका है यदि हां तो कैसे यदि नहीं पूरा करने में अपनी जान लगा दो
क्या आप जानते हैं अंतर्मुखी होने का एक बड़ा फायदा यह है कि खुद को पहचानने में देर नहीं लगती कि खुद के अंदर की कला को पहचानने में भी हमें देर नहीं लगती व्यक्ति जीवन भर अपने अंदर की कला को पहचानने में जुटा रहता है लेकिन उसे अपना हुनर मालूम नहीं हो पाता अंतर्मुखी खुद को समय देता है और बहिर्मुखी व्यक्ति बाहर क्यों दोनों में लिप्त रहता है अगर आपका स्वभाव बहिर्मुखी है अपने अंदर की हुनर को पहचानने के लिए आपको थोड़ा अंतर्मुखी होना होगा इसके लिए आपको खुद के लिए वक्त निकालना होगा और शांतिपूर्ण तरीके से विचार करना होगा की मैं क्या कर सकती हूं या सकता हूं।
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