शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

हमसफ़र के लिए

पहला कदम जब रखा चलने को तो मन में मा बाप का सहारा था
रखा कदम जब जवानी में तो पिया जी का सहारा था
मौत की दहलीज पर सद्कर्मों का सहारा था 

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी