पहला कदम जब रखा चलने को तो मन में मा बाप का सहारा था
रखा कदम जब जवानी में तो पिया जी का सहारा था
मौत की दहलीज पर सद्कर्मों का सहारा था
रखा कदम जब जवानी में तो पिया जी का सहारा था
मौत की दहलीज पर सद्कर्मों का सहारा था
क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी
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