ज़िन्दगी के सफ़र में हर राह पर , नए तराने मिले
कुछ ख्वाब मुक्कमल हुए तो कुछ अधूरे रहे
जो पूरे हुए वो कभी अधूरे ना थे , और जो अधूरे थे वो कभी पूरे नहीं हुए
कुछ अपने पराए बने और अपने पराए बने
कुछ ख्वाब मुक्कमल हुए तो कुछ अधूरे रहे
जो पूरे हुए वो कभी अधूरे ना थे , और जो अधूरे थे वो कभी पूरे नहीं हुए
कुछ अपने पराए बने और अपने पराए बने
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें