शनिवार, 20 अप्रैल 2019

zindagi ka safar poem

ज़िन्दगी के सफ़र में हर राह पर , नए तराने मिले
कुछ ख्वाब मुक्कमल हुए तो कुछ अधूरे रहे
जो पूरे हुए वो कभी अधूरे ना थे , और जो अधूरे थे वो कभी पूरे नहीं हुए
कुछ अपने पराए बने और अपने पराए बने

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी