हम तुम्हें पाने के लिए मरते हैं ऐसे जैसे चिड़िया फिरती है दाने के लिए
एक दिल के कारण मजबूर है तो दूसरा पेट के कारण
हम तुम्हें पाने के लिए मरते हैं ऐसे जैसे चिड़िया फिरती है दाने के लिए
एक दिल के कारण मजबूर है तो दूसरा पेट के कारण
हमसे बेहतर तुम्हें कोन जानता है
ज़ो भी जानता है ग़लत जानता है
चुपके से चुरा लेते हो दिल का चैन ओ सुकून
फिर कहते हो ,हमें कहाँ कुछ आता है
क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी