मंगलवार, 12 मई 2020

अंखियों में निंदिया कैसे आए

अंखियों में निंदिया कैसे आए 
बंद करते ही एक  अधूरा सपना छा जाए
पूरा करने को जी ललचाए 
मेहनत करने से ना घबराए
फिर एक दिन सफलता मिल ही जाए


सोमवार, 11 मई 2020

अफसाना बन गया

होना था जो हो गया हमें प्यार हो गया
अफसाना बन गया तू मेरा दिलदार बन गया

बहुत था रोका इस दिल को लेकिन ये तो तेरी बाहों में सो गया
होना था जो वो हो गया कि हमें प्यार हो गया

सांसों को कहा ना जा छोड़कर मुझे यूं , 
O रब्बा मेरा क्या ये हाल हो गया 
अफसाना बन गया वो मेरा दिलदार बन गया


maa shayari

बहुत कुछ लिखा था मा के लिए अपनी कविता में
क्या करू काग़ज़ गीला हो गया लिखते लिखते
माफ़ करना दोस्तो

ज़िन्दगी के रंग

ज़िन्दगी के नवरंगो से रंग लो अपना जीवन
हर रंग का अलग रंग है
रंग में उमंग है
उमंग में खुशी है और खुशी में ज़िन्दगी है।

Na Jane kis mod par aa gyi zindagi

Na jane kis mod par aa gye hai na koi kashti dikhti na ,na koi kinara
Na rasta dikhta hai na koi manzil 
Bas ek choti si asaha dil ke kisi kone mein bol rahi hai .....
Uth kuch kar bhid ja samandar ke en toofano se 
Ladkar hi tujhko milegi manzil
Yun thak harkar kisi ki vijay nhi hui
Jo ladega wo jeetega 

शनिवार, 9 मई 2020

मन कितना चंचल है इंसान चंचल हो ना हो लेकिन मन चंचल जरूर होता है मन की प्रकृति ही है इसका चंचल स्वभाव आदमी चाहे कितना भी साधारण सीधा सरल क्यों ना हो लेकिन उसका मन चंचल ही होता है इधर-उधर भागना उसकी प्रवृत्ति होती है और जो लोग अपने मन को एक जगह पर टिका कर रखते हैं वही लोग शांत होते हैं
अगर मन को अपने बस में करना चाहते हो तो मन के विचारों से लड़ो मत लड़ाई करोगे उलझ जाओगे मन में चलने वाले विचार को एक मूकदर्शक की भांति देखो ना उनम अच्छा बोलो ना खराब बोलो बस चुपचाप देखते रहो वह आएंगे और चले जाएंगे thoughts are like passing clouds

शनिवार, 2 मई 2020

कदर करना है तो अभी करो मुर्दों से क्या बात करते हो सहानुभूति की

जीते जी इंसान कदर क्यों नहीं करता पता नहीं इंसान की यह कैसी प्रवृति है जब कोई मर जाता है तभी उसे उस पर बहुत प्यार आता है और जब जिंदा होता है तो उसे किसी कचरे के डिब्बे की तरह ट्रीट किया जाता है क्यों आखिर ऐसा क्यों है क्योंकि इंसान दो चेहरे रखता है एक चेहरा असलियत का और दूसरा चेहरा दिखाने का जब इंसान जिंदा रहता है तो उसे इंसान की कदर नहीं रहती वह अपनी असलियत में रहता है जैसे ही वह इंसान मर जाता है तो दूसरों को यह दिखाने के लिए कि मैं कितना दुखी हूं उस इंसान के चले जाने से वह रोता है
दिखावे के साथ लोग कैसे जी लेते हैं यह तो मुझे अभी भी समझ में नहीं आता दिखावे से जीना यह काम बस दुष्ट प्रवृत्ति के लोग ही कर सकते हैं जो इंसान सरल है सच्चा है उससे दिखावे का काम नहीं होता हो ही नहीं सकता उससे
अगर कोई इंसान बहुत दिखावा करता है अच्छे होने का तो समझ जाइए वह इंसान अंदर से कपटी और छलिया है वह अच्छे होने का सिर्फ मुखौटा पहने हुए हैं दिल से अच्छा होना बेहद कठिन है ये हर किसी के बस की बात नहीं इसके लिए निश्चल वह निष्कपट होना जरूरी है।
आप अपने आसपास देखिए जब कभी कोई बात आपको असहज महसूस कराएं या आपको खुद ऐसा महसूस हो कि यह इंसान इतना अच्छा कैसे हो सकता है उसके कारण पर जाइए जड़ तक जाइए।

क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी