शनिवार, 16 फ़रवरी 2019

Poem on Pulwama attack for martayers

होली के रंगों से रंगे थे जिनके हाथ आज खून से लथपथ पड़े हैं तिरंगे के साथ
जिन की मांगों में थी सिंदूर की लाली, सूनी पड़ी है कब से यह मांग बेचारी



मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

नदी कहने को तो नदी है लेकिन मुझे कुछ मां जैसी लगती

नदी कहने को तो नदी है लेकिन मुझे कुछ मां जैसी लगती है इस प्रकार मां अपने बच्चे को नहीं लाते पिलाती है ताकि वह सुंदर हो स्वच्छ हो इसी प्रकार गंगा मां अपने बच्चों के सारे पाप धुल देती है ताकि उनके बच्चे फिर से स्वच्छ निर्मल पाप रहित हो जाएं लेकिन हम बच्चे उस मां की कदर नहीं कर रहे हैं क्यों आखिर क्यों हम अपनी मां को भी मेला और प्रदूषित कर रहे हैं इससे अच्छा तो प्राचीन काल में लोग हुआ करते थे जो प्रकृति का हमेशा ख्याल रखते थे आधुनिकीकरण ने हमारी जीने के तरीकों को विकसित तो बनाया है लेकिन हमें संवेद नाउ और मानवीय मूल्य में उतना ही अविकसित कर दिया ह, पहले मनुष्य इंसान की संवेदना को ही नहीं अपितु प्रकृति की संवेदनाएं भी समझता था उसमें दया प्रेम इत्यादि के भाव भरे पड़े थे जिससे वो किसी भी जीव जंतु या प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाता था लेकिन अब प्रकृति तो छोड़ो अपनों की भी कदर नहीं करता।



इंसान क्या हो गया है तुझे आखिर  बहा अपनी दिल में दया की धारा
नहीं तो मिट जाएगा यह संसार सारा


शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

तेरी आंखो में बस जाने को ज़ी चाहता है

तेरी आंखो में बस जाने को जी चाहता है क्या करू कमबख्त काजल बीच में आ जाता है।

गुरुवार, 31 जनवरी 2019

Phir kyn nahi Ek beti Kaafi hai ek parivaar ke sahare ke liye

एक मुस्कुराहट काफी शिकवे मिटाने के लिए, एक दवा काफी है हर रोग मिटाने के लिए

एक दिया काफी है अंधेरे को मिटाने के लिए
फिर क्यों नहीं एक बेटी काफी एक परिवार के  सहारे केलिए


Ek Muskurahat Kaafi Hai Shikwa mitaane ke liye ek Dawa Kafi hai Har Rog mitaane Ke Liye
Ek Diya Kafi Hai andhere Ko mitane ke liye

Kyu nahi Ek beti Kafi Hai, Ek Parivar ke liye

रविवार, 13 जनवरी 2019

Dil chori sadda Ho Gaya

नज़रों के इशारे में बोल गए वो बात जो कभी जुबान नहीं बोल पाई
चुरा के दिल कर गए वो काम जो कर ना पाया कोई
अब इस गुनाह कि क्या सजा दे हम उन्हें ,गुनाह तो हमने भी किया उनका दिल चुराकर

क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी