जुता चप्पल झाड़ु एक समान
पड़ता जब माँ के हाथ
कोई ना बच पाए निशाने से इसके यार 👹
हमसे बेहतर तुम्हें कोन जानता है
ज़ो भी जानता है ग़लत जानता है
चुपके से चुरा लेते हो दिल का चैन ओ सुकून
फिर कहते हो ,हमें कहाँ कुछ आता है
क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी