गुरुवार, 28 मार्च 2019

positive and negative personality

Positive and negative personality 


प्रसन्नता क्या क्या है क्या कोई बता सकता है खुशी हैप्पीनेस पीस इट इज द स्टेट ऑफ माइंड जो हमें बाहर ढूंढने से कभी नहीं मिलने वाली वह हमें अपने अंदर ही मिलेगी। अलग-अलग प्रकार के विभिन्न सोच वाले व्यक्ति रहते हैं जिनका किसी भी बात पर एक्शन भी अलग अलग होता है सबका स्टेट ऑफ माइंड अलग अलग है क्योंकि हर एक व्यक्ति के जीवन काल की परिस्थितियां एक जैसी नहीं होती अगर परिस्थितियां एक जैसी नहीं है तो व्यवहार और मन है स्थिति एक जैसी कैसे हो सकती है उदाहरण के तौर पर लीजिए दो बेटे अपनी मां से अलग अलग चीजों की मांग करते हैं एक बेटे को बाइक चाहिए दूसरे बेटे को कार चाहिए एक बेटा धैर्यवान वह शांत प्रकृति का है मां कहती है बेटा अभी पैसे नहीं है तुम लोगों को अगले साल खरीद देंगे।

तो एक बेटा बोलता है तुम लोग ऐसे ही हो मेरी कोई फिक्र नहीं है फला फला मां को बोलने लगता है और दूसरा बेटा समझदार हां मां तुम ठीक कहती हो अभी परिस्थिति हमारी ठीक नहीं है हम अगले साल ले लेंगे।


देखा आपने दो लोग जो एक ही मां की संतान है भाई भाई हैं दूसरों की तो बात में करी नहीं रही उनकी विचारधारा में कितना अंतर है एक बेटा बात को समझ रहा है और दूसरा बेटा उसे समझने के लिए तैयार नहीं।

जब भाई-भाई की विचारधारा एक ही चीज को लेकर अलग अलग हो सकती है तो हमारे आस पास किन लोगों की विचारधारा अलग होने से या हमारे प्रति गलत भावना होने से हम क्यों इतना परेशान हो जाते हैं कोई हमारी आलोचना करता है तो हमें परेशान नहीं होना है समझदारी से काम ले और इस बात को हमेशा ध्यान रखें कि हर कोई आपके बारे में पॉजिटिव नहीं बोलेगा।


ब्रह्मांड में पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों प्रकार के तत्व मौजूद थे इसी प्रकार इंसान भी पॉजिटिव और नेगेटिव होता है अगर आप पॉजिटिव लोगों के पास रहते हैं तो आप भी पॉजिटिव चार्ज हो जाते हो और नकारात्मक लोगों के पास रहोगे और उनकी संगति करोगे तो तुम भी नकारात्मक हो जाओगे।

बुधवार, 27 मार्च 2019

वक्त कभी रुकता नहीं

वक़्त को देखो रुकता ही नहीं चलता रहता है दिल की धड़कन की तरह धड़कन का रुकना मौत से मिलाता है और वक्त का रुकना बदनसीबी लाता है
जो इसके साथ ताल मिलाकर चलना सीख गया वही असल विजेता है।

जब कभी जीवन में दुख आए तो घबराना ना वक्त एक ऐसा मरहम है जो मुफ्त में मिलता है और घाव को धीरे धीरे पूरी तरह से ठीक कर देता है यह किसी दवा खाने में नहीं मिलता अपितु जीवन तुम्हें वक्त रूपी मरहम से तुम्हारे दुखों को मिटा देता है अतः जीवन में उपहार रूपी वक्त की कद्र करो।



मंगलवार, 26 मार्च 2019

सच और झूठ की पहचान

सच बहुत महंगा होता है हर कोई इसको नहीं खरीद सकता क्योंकि इसकी कीमत बहुत ही ज्यादा हाई है भाई झूठ बहुत सस्ता बिकता है अठन्नी चवन्नी में भी आप खरीद सकते हो
अब मुझे समझ में आया लोग सस्ती चीजों पर क्यों मरते हैं
महंगी चीज तो कोई खरीद नहीं नहीं चाहता जो टिकाऊ हो सब जुगाड़ करने में लगे हुए सच ऐसा ही तो होता है सच को छुपाने के लिए हम कितने जुगाड़ करते हैं और झूठ इतना सस्ता होता है कि उसको खरीद कर उसका कहीं भी प्रयोग कर लेते हैं भाई कितना आसान है झूठ का प्रयोग करना
आदमी खुद सच खरीदने की औकात नहीं रखता और झूठ खरीद कर काम चलाता है और दूसरों को हिदायत देता है कि झूठ बोलना पाप है।

शनिवार, 16 फ़रवरी 2019

Poem on Pulwama attack for martayers

होली के रंगों से रंगे थे जिनके हाथ आज खून से लथपथ पड़े हैं तिरंगे के साथ
जिन की मांगों में थी सिंदूर की लाली, सूनी पड़ी है कब से यह मांग बेचारी



मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

नदी कहने को तो नदी है लेकिन मुझे कुछ मां जैसी लगती

नदी कहने को तो नदी है लेकिन मुझे कुछ मां जैसी लगती है इस प्रकार मां अपने बच्चे को नहीं लाते पिलाती है ताकि वह सुंदर हो स्वच्छ हो इसी प्रकार गंगा मां अपने बच्चों के सारे पाप धुल देती है ताकि उनके बच्चे फिर से स्वच्छ निर्मल पाप रहित हो जाएं लेकिन हम बच्चे उस मां की कदर नहीं कर रहे हैं क्यों आखिर क्यों हम अपनी मां को भी मेला और प्रदूषित कर रहे हैं इससे अच्छा तो प्राचीन काल में लोग हुआ करते थे जो प्रकृति का हमेशा ख्याल रखते थे आधुनिकीकरण ने हमारी जीने के तरीकों को विकसित तो बनाया है लेकिन हमें संवेद नाउ और मानवीय मूल्य में उतना ही अविकसित कर दिया ह, पहले मनुष्य इंसान की संवेदना को ही नहीं अपितु प्रकृति की संवेदनाएं भी समझता था उसमें दया प्रेम इत्यादि के भाव भरे पड़े थे जिससे वो किसी भी जीव जंतु या प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाता था लेकिन अब प्रकृति तो छोड़ो अपनों की भी कदर नहीं करता।



इंसान क्या हो गया है तुझे आखिर  बहा अपनी दिल में दया की धारा
नहीं तो मिट जाएगा यह संसार सारा


शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

तेरी आंखो में बस जाने को ज़ी चाहता है

तेरी आंखो में बस जाने को जी चाहता है क्या करू कमबख्त काजल बीच में आ जाता है।

क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी