- Hamari nazar 🧿 nahi lagegi tumhe
Kynki tum wo shakhs ho jise hum nazarandaz karte hai
हमसे बेहतर तुम्हें कोन जानता है
ज़ो भी जानता है ग़लत जानता है
चुपके से चुरा लेते हो दिल का चैन ओ सुकून
फिर कहते हो ,हमें कहाँ कुछ आता है
क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी