शुक्रवार, 3 जून 2022

गुरुवार, 2 जून 2022

मंगलवार, 31 मई 2022

रेत

रेत की तो  प्रकर्ती ही है फिसल ज़ाने की बेवजह हम हाथों को कसूर देते है

क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी