शनिवार, 6 फ़रवरी 2021

दिक्कत

दिक्कत से बोला मैंने इतनी दिक्कत होती है तो आती कियु हो मुझे दिक्कत देने ,तो दिक्कत बोली 
तुझे दिक्कत देने में मुझे कोई दिक्कत नहीं ,बस ये दिक्कत है तू दिक्कत में नही है

किताबों मे डुबकी लगाकर

किताबों में डुबकी लगाकर तो देखो यारो ना मोती मिले तो कहना 

 कातिल निगाहों से हटकर ज़रा इनके तरफ देखो ना ज़िन्दगी गुलज़ार ना हो जाए तो कहना 




मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

मासूम बतख और कातिल मुसाफिर

 एक मुसाफिर सफर करता हुआ थक गया था तो वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया और आराम करने लगा पेड़ की छांव में उसे बहुत अच्छा लग रहा था और उसकी नींद लग गई कुछ देर बाद वहां एक बतख आया बत्तख ने पूछा क्यों भाई थक गए हो तो मैं कुछ मदद चाहिए बहुत मासूम था बत्तख मुसाफिर नहीं बताती हो देखा मुसाफिर बहुत दिनों से भूखा था उसे भूख भी लग रही थी और उसे प्यास भी लग रही थी उसने की और देखा और उसके मुंह में पानी आ गया उसने सोचा इस को मारकर मैं अपनी भूख मिटा लूंगा फिर उसने सोचा मुझे प्यास भी तो लगी है अगर मैं से मारकर खा लूंगा तो मेरी प्यास कैसे बुझेगी भूख तो मिट जाएगी लेकिन प्यास का क्या करूंगा तो उसे तरकीब सूझी वह मुझसे बोला मुझे प्यास लगी है मुझे पानी पीना है क्या तुम मेरी मदद करोगी बतख पूजा हां क्यों नहीं मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगा पास ही में एक तालाब है मैं तुम्हें वहां ले चलता हूं तो तुम पानी पी लेना और अपनी प्यास बुझा लेना 

मुसाफिर मन ही मन में मुस्कुराया और और बतख के साथ चल दिया कुछ ही दूर पर तालाब था उसने पानी पिया और बतख को मारकर खा लिया बेचारा बतक मर गया

सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

Valentine's day shayari

 काश ये सात दिन सात फेरों में बदल जाए 

एक दूसरे से जुदा हम 14 को 1 हो जाए 




Kash ye saat din saat phero me badal jaye 

Ek dosre se juda hum 14 ko ek ho jaye 


गुलाब

मुंह धुलकर  आती है बालकनी में तो पानी के बूंदे उसके चहरे पे यू लगती है मानो गुलाब पर ओस की बूंद पड़ी हो 
वो गुलाब और  मै माली पसंद तो बहुत है पर तोड़ नहीं सकता 

आशिक़ हो मै उसका ,दिल तोड़ सकता हूं अपना पर उसको छोड़ नहीं सकता 




वक्त

 तुम मानो या मानो मेरे दोस्त वक्त हमारी कब्र खोद रहा है  ।

ज्योति

 Jab kismat me andhera hi likha hota hai to Jyoti naam ki ladki bhi dhokha de jati hai 😄

क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी