गुरुवार, 19 अगस्त 2021

बढ़े चलो

नदी के रास्ते में आती है रुकावटें फिर भी वह बहती जाती है रुकती नहीं है मुसीबतों को देखकर ,थकती नहीं है पहाड़ों को देखकर बिना रुके बहना ही उसका काम है ,रूके अगर तो सड़ना ही अंजाम है, चलते ही रहना जिंदगी का नाम है वरना हार कर बैठना तो बुजदिलों का काम है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी