बड़ी अनजान मुलाकात थी वो जिसने अनजाने को अपना बना दिया
अपना बना कर सीने से लगा लिया , और मुस्कुरा कर दिल में बसा लिया
कैसे छोड़ दे हम उनको जिन्होंने हमारी यादों को अपनी रूहों में बसा लिया
क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी
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