वक्त रुकता नहीं किसी के लिए फितरत है उसकी चलने की पकड़ सको तो पकड़ लो नहीं तो उड़ जाएगा चिड़िया की तरह यह पंख फैलाकर ।समय एक नदी की धार है इसकी धार में चलो इसकी लहर के साथ उठो खुद को संभालो पर रुको नहीं।।समय कि कोई शक्ल नहीं है जिसे वर्णित किया जाए यह तो चलने वाली एक वर्णित तत्व है जिसके अंदर संसार की समस्त प्रक्रिया चल रही है समय एक ताल है जिसमें कर्मों के स्वर उपयुक्त आवृत्ति में अपने आप को दोहराते रहते हैं समय को संगीत से समझा जा सकता है संगीत में नोट होते हैं उसी प्रकार समय में क्रियाएं होती हैं अच्छी और बुरी वह अपने एक निश्चित समय में अपने आप को दोहराती है और जीवन का निर्माण करती है।
मनुष्य समुद्र के जैसा है जिस प्रकार समुद्र तूफान आता है लहरें ऊपर उठती हैं सिर अपने आप शांत हो जाती हैं इसी प्रकार मनुष्य का स्वभाव होता है कभी-कभी आवेग में आना बहुत जरूरी हो जाता है
मनुष्य समुद्र के जैसा है जिस प्रकार समुद्र तूफान आता है लहरें ऊपर उठती हैं सिर अपने आप शांत हो जाती हैं इसी प्रकार मनुष्य का स्वभाव होता है कभी-कभी आवेग में आना बहुत जरूरी हो जाता है
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