बुधवार, 27 अप्रैल 2022

ज़िन्दगी को गुलज़ार बनाया

कुछ खोया तो कुछ पाया
ज़िंदगी ऐसी ही है
कभी plus तो कभी minus आया
कभी उलझी तो कभी सुलझी
पर आगे बड़ती गयी
रुकना ना इसे आया 



देर से ही सही पर सब समझ आया 
सत्कर्मों से ज़िंदगी को गुलज़ार बनाया 

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी