सोमवार, 12 अक्तूबर 2020

प्याज़ के दाम


प्याज़ होती है बड़ी निराली 
कभी हसाती तो कभी रुलाती 
कभी अपने पास बुलाती 
मुझे अपने घर में रख लो ये कह कर चिढाती
कभी आसमान पर चढ़ जाती (महंगी)
तो कभी जमीन में लुड़क जाती (सस्ती)
जब भी मेरी कढ़ाई में जाती 
स्वाद खाने का बढ़ा जाती 
बिना इसके खाने में रह ना जाए कोई दम ख़म
इसीलिए तो शलजम  कहते  इसे हम 😂😀😀😀😀😀

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी