3 साल की बेटी से रेप
देखकर होता है बड़ा खेद
अगर नहीं है खुद के घर में safe
बंद करो फिर ये इंसाफ का झूठा खेल
मिल जाता इंसाफ अगर इतनी आसानी से
तो होता ना आबरू से इनकी कोई खेल किसी दुराचारी से,
कहना बस ये चाहती हूं मै इस कविता से
कैंडल जलाकर भले ना हमदर्दी जताओ
लेकिन बेटो को अच्छी बातें जरूर सिखाओ
तभी बलात्कार जैसी घंटनाओ में कमी आयेगी
बेटियां फिर से सर उठा कर चल पाएंगी
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