सोमवार, 12 अक्तूबर 2020

3 साल की बेटी से रेप

  3 साल की बेटी से रेप

देखकर होता है बड़ा खेद

अगर नहीं है खुद के घर में safe

बंद करो फिर ये इंसाफ का झूठा खेल 

मिल जाता इंसाफ अगर इतनी आसानी से 

तो होता ना आबरू से इनकी कोई खेल किसी दुराचारी से,

कहना बस ये चाहती हूं मै इस कविता से 

कैंडल जलाकर भले ना हमदर्दी जताओ

लेकिन बेटो को अच्छी बातें जरूर सिखाओ

तभी बलात्कार जैसी घंटनाओ में कमी आयेगी

बेटियां फिर से सर उठा कर चल पाएंगी






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी