रविवार, 9 फ़रवरी 2020

Do वक़्त की रोटी

दो वक़्त की रोटी के लिए दो वक़्त कमाता है
बच्चो की भूख का ही सवाल है साहब   वरना हमको तो भूखा भी सोना आता है

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी