रविवार, 14 अगस्त 2022

ख़ुशियों की क़ीमत

 ख़ुशियों क़ा क्या दाम …..

ज़िन्दगी 

तिरंगा प्यारा

 तिरंगा है मेरी जान 

आन बान शान 

इस पर मर मिटे ना जाने कितने जवान 


मौत

मौत किसी को भी नहीं बख़्शती इंसान चाहे राजा हो या रंक 


अल्फ़ाज़

ख़ामोशी मे भी आवाज़ होती है जो दिल को सुनाई देती हैं,

अल्फ़ाज़ हो ना हो बात हो ही जाती है

क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी