Kavita
समय बीतता जा रहा है यार ,अब तो कर लो खुद से प्यार
छोड़ दुनिया की परवाह ,बढ़ा मंजिल की ओर कदम हजार
क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी
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