शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

ज़िन्दगी की रफ्तार

ए जिंदगी जरा धीरे धीरे चल ना तेरी इस तेज रफ्तार में मेरे  कई ख्वाब अधूरे रह गए
उड़ना था आसमानों में पंख फैला कर , ज़मी पर पाव पसारे राह गए

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क़ीमत

क़ीमत भी अदा करनी पड़ी हमे उस रिश्ते की जिसकी कोई क़ीमत न थी